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Nipun Bharat Mission:-
शिक्षा क्षेत्र में विकास देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण विकास होता है| भारत सरकार ने शिक्षा क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए नई शिक्षा पॉलिसी जारी की जो काफी बदलाव लाया है। भारत सरकार नवीन शिक्षण नीति को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए कई उपाय कर रही है इन्हीं प्रयासों के परिणामस्वरूप भारत सरकार ने निपुण भारत योजना की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों को आधारभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान देना है| यदि आप NIPUN Bharat Mission के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक पढ़ें।
Nipun Bharat Mission
5 जुलाई को शिक्षा मंत्रालय ने निपुण भारत योजना शुरू की। निपुण का पूरा नाम National Institute for Proficiency in Reading with Understanding and Numeracy है। NIPUN Bharat Mission सक्षम वातावरण बनाने के लिए काम करेगा। इससे विद्यार्थियों को आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता का ज्ञान मिल सकेगा। 2026–27 तक, Success Plan द्वारा हर बच्चे को तीसरी कक्षा के अंत तक लिखने, पढ़ने और अंकगणित सीखने की क्षमता दी जाएगी। इस योजना को स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग लागू करेगा।
यह NIPUN Bharat Mission स्कूली शिक्षा कार्यक्रम समग्र शिक्षा का एक हिस्सा होगा, जो पूरे स्कूल में दी जाएगी। इस कार्यक्रम को लागू करने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पांच महिला तंत्र बनाए जाएंगे। राष्ट्रीय, राज्य, जिला, ब्लॉक और स्कूल स्तर पर ये पांच स्तरीय तंत्र लागू होंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति(National Education Policy) को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए इस योजना का शुभारंभ किया गया है।
लेख का विषय | NIPUN Bharat Mission |
लागु की गई | केंद्र सरकार द्वारा |
योजना आरम्भ की तिथि | 5 जुलाई |
आधिकारिक वेबसाइट | education.gov.in |
निपुण भारत योजना का कार्यान्वयन
सन 2026-27 तक, निपुण भारत योजना के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्यों में अलग-अलग लक्ष्य निर्धारित किए जाएंगे। नोडल विभाग इन सभी लक्ष्यों की प्रगति को देखेगा। इसके अलावा, समग्र शिक्षा योजना के कार्यान्वयन के लिए राज्य को वित्तीय एवं तकनीकी सहायता भी दी जाएगी। राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रणनीति बनाएंगे। ताकि 2026-27 तक मूलभूत साक्षरता का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके। राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर आईटी आधारित संसाधनों से इस योजना की कार्यवाही की निगरानी की जाएगी। जिसमें बच्चों की क्षेत्रीय निगरानी भी शामिल होगी। इसके अलावा, इस योजना में प्रस्तावित निगरानी व्यवस्था दो श्रेणियों में विभाजित है। जो दो प्रकार की निगरानी है: वार्षिक निगरानी सर्वेक्षण और समवर्ती निगरानी सर्वेक्षण।
आधारभूत साक्षरता तथा संख्यात्मक के प्रकार
मूलभूत भाषा एवं साक्षरता:-
- लेखन
- पठन प्रवाह
- शब्दावली
- मौखिक भाषा का विकास
- रीडिंग कंप्रीहेंशन
- कल्चर ऑफ रीडिंग
- धवनियात्मक जागरूकता
- डिकोडिंग
- प्रिंट के बारे में अवधारणा
मूलभूत संख्यामकता और गणित कौशल
- पैटर्न
- मापन
- गणितीय तकनीकें
- पूर्व संख्या अवधारणाएं
- आकार एवं स्थानिक समाज
- नंबर एंड ऑपरेशन ऑन नंबर
छात्रों के आधारभूत साक्षरता तथा संख्यामकता के सुधार के लिए शैक्षणिक दृष्टिकोण
छात्र के सीखने पर ध्यान:-
हमारे देश में बहुत से विद्यार्थी पहली पीढ़ी के शिक्षार्थी हैं। ऐसे सभी विद्यार्थियों को शिक्षित करना कठिन होता है। क्योंकि घर पर शिक्षित वातावरण नहीं मिलता इसलिए शिक्षकों को अपने छात्रों पर अधिक ध्यान देना होगा। शिक्षक को शिक्षण देते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना आवश्यक है:
- लड़के एवं लड़कियों से सम्मान एवं उचित अपेक्षाएं प्रदर्शित करना।
- लिंगभेद से मुक्त पुस्तके, चित्र, पोस्टर, खिलौने आदि का चयन करना।
- शिक्षकों द्वारा कक्षा में बात करते समय लिंग पक्षपाती कथनों का प्रयास ना करना।
- ऐसी कहानी एवं कविताओं का चयन करना जिसमें लड़की एवं लड़कों को सामान्य भूमिकाओं में पेश किया जाए।
- शिक्षार्थियों को अपनी रुचि का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करना।
स्कूल मॉड्यूल:-
विद्यालय समानता और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विद्यार्थी को विद्यालय में भेजने के लिए उनके पास न्यूनतम ज्ञान और कौशल होना चाहिए। तीन महीने का स्कूल प्रिपरेशन मॉड्यूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शामिल है। इससे बच्चे पूर्व स्कूल शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे और स्कूल जाने के लिए खुद को तैयार कर सकेंगे।
सीखने का आकलन:-
शिक्षा विद्यार्थियों को कई नई बातें सिखाती है। बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास इससे होता है। इस बदलाव को समझने के लिए एसेसमेंट किया जाता है। ताकि विद्यार्थियों की सफलता का ट्रैक किया जा सके। यह आकलन कई प्रकार की तकनीकों से किया जाता है। ताकि विद्यार्थी की रुचि और वरीयता का पता लगाया जा सके। इसके अलावा, बच्चों के प्रदर्शन का विश्लेषण करके उनको हस्तक्षेप के माध्यम से तैयार किया जा सकता है, यह भी सुनिश्चित किया जा सकता है कि बच्चों को सीखने में कोई मुश्किल तो नहीं आ रही है और मुश्किलों की पहचान करके उन मुश्किलों को हल किया जा सकता है।
Mission के भाग
सरकार द्वारा निपुण भारत योजना को 17 भागों में बांटा गया है:-
- परिचय
- मूलभूत भाषा और साक्षरता को समझना
- मूलभूत संख्यामकता और गणित कौशल
- योग्यता आधारित शिक्षा की ओर स्थानांतरण
- शिक्षा और सीखना: बच्चों की क्षमता और विकास पर ध्यान
- लर्निंग एसेसमेंट
- शिक्षण -अधिगम प्रक्रिया: शिक्षक की भूमिका
- स्कूल की तैयारी
- राष्ट्रीय मिशन: पहलू एवं दृष्टिकोण
- मिशन की सामरिक योजना
- मिशन कार्यान्वयन में विभिन्न हितग्राहीको की भूमिका
- SCERT और DIET के माध्यम से शैक्षणिक साहित्य
- दीक्षा/NDEAR: का लाभ उठाना: डिजिटल संसाधनों का भंडार
- माता पिता एवं सामुदायिक जुड़ाव
- निगरानी और सूचना प्रौद्योगिकी ढांचा
- मिशन की स्थिरता
- अनुसंधान, मूल्यांकन एवं दस्तावेजी करण की आवश्यकता
मूलभूत साक्षरता एवं संख्यात्मकता पर राष्ट्रीय मिशन
राष्ट्रीय शिक्षा नीति और अंतर्मनिर्भार भारत कैंपेन ने मूलभूत साक्षरता और संख्यामकता पर एक राष्ट्रीय मिशन बनाने का फैसला किया है ताकि शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखा जा सके और मूलभूत साक्षरता का लक्ष्य हासिल किया जा सके। 2026-27 तक इस मिशन का लक्ष्य प्राप्त किया जाएगा। इसके माध्यम से ग्रेड 3 के अंत तक सभी बच्चों को मूलभूत संख्यामकता और साक्षरता का ज्ञान मिलेगा। यह राष्ट्रीय लक्ष्य प्रत्येक जिला में हासिल करने का पूरा प्रयास किया जाएगा। इस मिशन में 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चे शामिल होंगे। सामग्र शिक्षा के अंतर्गत इस मिशन को संचालित किया जाएगा।
मूलभूत भाषा और साक्षरता की समझ
बच्चों को साक्षरता और मूलभूत भाषा का ज्ञान होना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे वह भविष्य में बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सकेगा। NCERT ने सर्वे कराया। इससे पता चला कि बच्चे पांचवी कक्षा तक पढ़ने के बाद भी पाठ को समझने और पढ़ने में असमर्थ हैं। यही कारण है कि निपुण भारत योजना में साक्षरता और मूलभूत भाषा की समझ पर ध्यान देने का फैसला किया गया है। ताकि बच्चे आने वाले समय में समझ कर ज्ञान प्राप्त कर सकें। इस योजना से पढ़ाई की गुणवत्ता भी सुधरेगी।
प्रारंभिक भाषा और साक्षरता
भाषा केवल पढ़ने, लिखने, बोलने और सुनने से कहीं अधिक है। भाषा हमारे बाहर की दुनिया को समझने का एक साधन है। भाषा की समझ प्रारंभिक स्तर पर बहुत महत्वपूर्ण है। निम्नलिखित को समझना भाषा को समझने के लिए आवश्यक है:-
- पढ़ने एवं लिखने की समझ
- कक्षा में लिखने की अवधारणा
- प्रारंभिक शिक्षा की अवधि के दौरान लिखने का कौशल इमर्जेंट राइटिंग, कन्वेंशनल राइटिंग एवं राइटिंग कंपोजिशन के माध्यम से विकसित करना
मूलभूत भाषा एवं साक्षरता की आवश्यकता
- भविष्य में बेहतर शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रारंभिक वर्षों में भाषा, साक्षरता और गणितीय कौशल की मजबूत नींव रखना है।
- प्रारंभिक साक्षरता विकास छात्रों के मस्तिष्क के विकास में बहुत महत्वपूर्ण है।
- मथुरा पायलट प्रोजेक्ट के निष्कर्षों के अंतर्गत छात्रों को मूलभूत भाषा एवं साक्षरता प्रदान करने के बाद बच्चे समझ के साथ पढ़ सकते थे।
- 6 वर्ष की आयु तक बच्चों के मस्तिष्क का 85% विकास हो जाता है, इसलिए प्रारंभिक मूलभूत भाषाई ज्ञान और साक्षरता देना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मूलभूत भाषा एवं साक्षरता के प्रमुख घटक
- लेखन
- शब्दावली
- डिकोडिंग
- पढ़ने का प्रभाव
- पढ़ने की संस्कृति
- रीडिंग कंप्रीहेंशन
- प्रिंट के बारे में अवधारणा
- मौखिक भाषा का विकास
- धावनी के माध्यम से जागरूकता
भाषा और साक्षरता विकास को बढ़ाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम
- शेयर ट्रेडिंग
- मिड डे मील
- पिक्चर रीडिंग
- सॉन्ग एंड राइम्स
- ड्रामा और रोल प्ले
- ऊंचे स्वर में पढ़ना
- अनुभव साझा करना
- अनुभव आधारित लेखन
- एक प्रिंट समृद्धि वातावरण बनाना
- कक्षा की दीवारों का उपयोग करना
- कहानियां एवं कविताएं सुनना, बताना और लिखना
मूलभूत संख्यामक और गणित कौशल
दैनिक जीवन की समस्याओं का समाधान करने में तर्क करने और संख्यामकता अवधारणाओं को लागू करने की क्षमता को मूलभूत संख्यामकता और गणित कौशल कहते हैं। जब विद्यार्थी निम्नलिखित कौशल प्राप्त करते हैं, वे संख्या बोध और स्थानीय समझ विकसित करते हैं।
- मात्राओं की समझ
- संख्याओं की तुलना करना आदि
- कम या ज्यादा एवं छोटा या बड़ा की समझ विकसित करना
- मात्राओं का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रतियों का उपयोग करना
- एकल वस्तु एवं वस्तुओं के समूह के बीच संबंध स्थापित करने की क्षमता
प्रारंभिक गणित कौशल की आवश्यकता
- प्रारंभिक वर्षों के दौरान गणितीय नीव का महत्व
- संख्याओं और स्थानिक समझ का दैनिक जीवन में उपयोग
- दैनिक जीवन में तार्किक सोच और तर्क को विकसित करना
- आधारभूत संख्यमकता का रोजगार में एवं घरेलू स्तर पर योगदान
प्रारंभिक गणित के प्रमुख घटक
- फ्री नंबर अवधारणाएं
- नंबर एंड ऑपरेशन ऑन नंबर
- आकार एवं स्थानिक समझ
- माप तोल
- पैटर्न
- डाटा संधारण
- गणितीय संचार
मूलभूत गणितीय कौशल को बढ़ाने के लिए शैक्षणिक प्रक्रिया
- सहयोग पूर्ण शिक्षा प्राप्त करना
- बच्चों की गलतियों को समझना
- गणित को आनंद ले कर पढ़ना
- गणितीय रूप से संचार करना
- गणित को अन्य विषयों के साथ जोड़ना
- गणित को दैनिक जीवन के साथ जोड़ना आदि
योग्यता आधारित शिक्षा की ओर स्थानांतरण
योग्यता आधारित शिक्षा का अर्थ है ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण का वर्णन करना। योग्यता आधारित स्थानांतरण के माध्यम से छात्र को एक विशेष असाइनमेंट, कक्षा, पाठ्यक्रम या कार्यक्रम के अंत में प्राप्त किए गए कौशल से उनका क्या लाभ होगा पता चलता है। ज्ञान, कौशल, दृष्टिकोण और मूल्यों का एकीकरण करके विद्यार्थियों को विकसित करने में लाभकारी दक्षताओं का निर्माण किया जा सकता है। योग्यता आधारित शिक्षा, सीखने के परिमाण के माध्यम से मापा जा सकने वाले बुनियादी क्षमता को विकसित करती है।
योग्यता आधारित शिक्षा की विशेषताएं
- योग्यता आधारित शिक्षा से बच्चों को अद्भुत अनुभव प्राप्त होंगे।
- स्पष्ट एवं मापने योग्य सीखने के परिमाण की योग्यता आधारित शिक्षा से प्राप्त किए जा सकते हैं।
- योग्यता आधारित शिक्षा में रचनात्मक आकलन के माध्यम से यह पता लगाया जाता है कि कहां छात्र को शिक्षा प्राप्त करने में परेशानी हो रही है।
- आलोचनात्मक सोच एवं समस्या समाधान दृष्टिकोण को भी योग्यता आधारित शिक्षा के माध्यम से विकसित किया जा सकता है।
शिक्षा और सीखना: बच्चों की क्षमता और विकास पर ध्यान
बच्चे अपने आसपास के वातावरण के बारे में जानने के लिए जिज्ञासा एवं उत्सुकता रखते हैं। यही कारण है कि 3 से 9 वर्ष की आयु में उनके लिए समृद्ध अनुभव सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। जो अपने बारे में बातचीत करना सीखना, क्रिटिकल विचार करना, समस्याओं को हल करना और अपने बारे में समाज बनाना है। शिक्षण प्रणाली बच्चों को ध्यान में रखते हुए बनाई जानी चाहिए। जिसमें संख्यामकता, सामाजिक भावना, भाषा और साक्षरता, मनोमोटर और रचनात्मकता का विकास शामिल होना चाहिए।
शिक्षा एवं सीखने की प्रक्रिया के प्रमुख पहलू एवं घटक
- कॉन्टेंट
- सीखने का वातावरण
- पूर्व में योजना बनाना
- आयु एवं विकासात्मक रूप से उपयुक्त शैक्षणिक प्रथाओं को अपनाने की पद्धति
- सीखने के परिवारों की उपलब्धि के लिए सुझाव शैक्षणिक प्रक्रिया
- शैक्षणिक अभ्यास
- योजना गतिविधियां
- शिक्षकों द्वारा प्रदान किया गया सक्षम वातावरण
- विभिन्न सीखने की सुविधाएं
शिक्षण अधिगम सामग्री
शिक्षक विभिन्न खिलौने, खेल और शैक्षिक खेल सामग्री का उपयोग कर सकते हैं ताकि बच्चों की सीखने की क्षमता बढ़ाई जा सके। इन सभी खिलौनों को आसानी से उपलब्ध खुली अलमारियों में रखा जाएगा। ताकि बच्चे इन खिलौनों से सीख सकें। प्रत्येक कक्षा में छोटी-सी पुस्तकालय होनी चाहिए। शिक्षकों द्वारा विकासात्मक अवधारणाओं के अनुसार शैक्षिक खेल और खिलौने बनाए जाएंगे, और शिक्षकों द्वारा स्थानीय सामग्री और खिलौनों का उपयोग करके मासिक, सप्ताहिक और दैनिक पढ़ाई की योजना बनाई जाएगी।
FLY -1 तथा FLY -6 की लिंकेज
- प्रत्येक स्तर पर बुनियादी सीखने के संसाधनों का पालन किया जाएगा।
- शिक्षकों को मूल्यांकन तकनीकों का उपयोग करने में कुशल बनाया जाएगा।
- विभिन्न प्रकार की तकनीकों का इस्तेमाल करके शिक्षा को बेहतर बनाया जाएगा।
- आधारभूत साक्षरता एवं संख्यामकता गतिविधियों को सीखने के परिमाण के साथ जोड़ा जाएगा।
लर्निंग असेसमेंट
असेसमेंट बच्चों से जुड़े सभी संभावित सूत्रों से जानकारी जुटाता है। बच्चों का ज्ञान कौशल, विचार, क्षमता और विश्वास यह जानकारी बच्चों की सीखने की क्षमता को बढ़ाने में मददगार होती है। असेसमेंट भी शिक्षकों को बच्चों का स्वभाव समझने में मदद करता है। शिक्षकों को पता चलता है कि वह बच्चों की सीखने की क्षमता को बढ़ा सकते हैं। लर्निंग एसेसमेंट के माध्यम से यह भी पता लगाया जा सकता है कि बच्चे किस क्षेत्र में अच्छे हैं और उनके कौशल से संबंधित जानकारी भी प्राप्त की जा सकती है।
फाउंडेशनल वर्षों के दौरान मूल्यांकन
- स्कूल बेस्ड एसेसमेंट
- लार्ज स्केल अचीवमेंट सर्वे
स्कूल बेस्ड एसेसमेंट:-
School Based Assessment में शिक्षक खुद मूल्यांकन कार्य बनाते हैं। राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किए जाने वाले परीक्षणों को स्कूल-आधारित परीक्षणों के स्थान पर नहीं लिया जा सकता। स्कूल-आधारित सम्मेलन एक वर्ष में कई बार होते हैं। इसलिए विद्यार्थियों को अगली कक्षा में भेजने का फैसला किया जाता है। यदि कोई विद्यार्थी कक्षा में पास होने लायक अंक नहीं प्राप्त करता है, तो उसे अगली कक्षा में नहीं भेजा जाएगा। सरकार ने स्कूलों पर आधारित संगठनों को तनावमुक्त करने का फैसला किया है। स्कूल आधारित सहयोग करने के लिए कई प्रकार की तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।
School Based Assessment का लक्ष्य
- बच्चों का स्वास्थ्य
- शारीरिक विकास
- व्यायाम और खेल
- स्वच्छता के पहलू
- वस्तुओं, खिलौनों आदि को व्यवस्थित ढंग से रखना
- बच्चों की सामाजिक एवं भावनात्मक प्रगति आदि
- बच्चों को प्रभावी संचारक बनाना
- स्कूल बेस्ड एसेसमेंट के तहत बच्चों की मातृभाषा को संचारक की भाषा बनाना जिससे कि वह अपनी बात संचारक के सामने रख सकें।
- भाषा एवं मूलभूत साक्षरता के लिए उपायुक्त प्रदर्शन
- हंसोदापन भावना का विकास
- गैर मौखिक संचार को महत्व देना
- बच्चों को इन्वॉल्व लर्नर बनाना
- कहानियां बनाने के लिए प्रोत्साहित करना
- बच्चों को विभिन्न प्रकार के प्रोजेक्ट एवं टास्क देना
- भौतिक वातावरण को समझने का मौका प्रदान करना
- पोर्टफोलियो
- आकलन के लिए श्रव्य दृश्य उपकरणों का निर्माण
- प्रश्न बैंक का विकास आदि
शिक्षण अधिगम प्रक्रिया: शिक्षक की भूमिका
शिक्षक विद्यार्थियों के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण हैं। शिक्षक बच्चों को अच्छी शिक्षा देते हैं। जो उनका भविष्य बनाता है। नई शिक्षा नीति में शिक्षकों की भूमिका पर भी जोर दिया गया है। शिक्षकों ने विभिन्न तरह के बदलाव अपने स्वभाव में लाने की सलाह दी है। ताकि वह बच्चों को बेहतर समझ सके। नई शिक्षा नीति में कई प्रकार की तकनीक भी बताई गई हैं। इससे शिक्षक बच्चों को समझ सकेंगे और बेहतर शिक्षा दे सकेंगे। बच्चों को मार्गदर्शन और प्रेरणा भी शिक्षकों से मिलती है।
शिक्षकों की क्षमता निर्माण
- प्रारंभिक अंकगणित के माध्यम से
- प्रारंभिक वर्षों में परामर्श के माध्यम से
- मूलभूत शिक्षार्थियों की समाज के माध्यम से
- प्रारंभिक भाषा और साक्षरता के माध्यम से
- प्रारंभिक वर्षों में आकलन के माध्यम से
- मूलभूत साक्षरता एवं संख्यामकता में माता-पिता और समुदाय की भूमिका को बढ़ावा देना आदि
- प्रारंभिक वर्षों में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की पहचान करना
पहलू तथा दृष्टिकोण
2026 –27 तक, आधारभूत साक्षरता एवं संख्यामकता का राष्ट्रीय मिशन है कि विद्यार्थियों को तीसरी कक्षा तक सभी क्षेत्रों में आधारभूत साक्षरता और संख्यामकता की शिक्षा दी जाए। ताकि बच्चे अंक गणित, लिखने और पढ़ने में ग्रेड स्तर पर दक्ष हो सकें। इस कार्यक्रम को राज्य स्तर पर लागू किया जाएगा। इस मिशन के माध्यम से 3 से 9 साल के सभी बच्चों को तीसरी कक्षा तक आधारभूत साक्षरता और संखायामक का ज्ञान मिलेगा। प्रत्येक बच्चे को अच्छी शिक्षा का अवसर मिलेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस मिशन को संचालित करेगी।
प्रशासनिक संचरण
नेशनल मिशन:-
राज्य स्तर पर इस योजना को स्कूल शिक्षा और लिटरेसी विभाग और शिक्षा विभाग संचालित करेंगे। नेशनल मिशन कई काम करेगा, जैसे मिशन की स्ट्रेटजी डॉक्यूमेंट बनाना, फ्रेमवर्क बनाना, लर्निंग मैट्रिक्स बनाना, लर्निंग गैप्स का पता लगाना, शिक्षकों की क्षमता बढ़ाना आदि।
स्टेट मिशन:-
इस योजना का कार्यान्वयन राज्य शिक्षा विभाग द्वारा किया जाएगा। इसके लिए एक राज्य स्टीयरिंग कमेटी बनाई जाएगी। सेक्रेटरी इस कमेटी का नेतृत्व करेगा। इस योजना को राज्य स्तर पर लागू करने के लिए प्रक्रिया को इस कमेटी द्वारा मंजूरी दी जाएगी।
डिस्ट्रिक्ट मिशन:-
इस योजना को लागू करने के लिए एक राज्य स्टीयरिंग कमेटी बनाई जाएगी। डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट या डिप्टी कमिश्नर इसे नियंत्रित करेंगे। इस कमेटी में शामिल होने वाले सदस्यों में जिला परिषद, डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर, डिस्ट्रिक्ट हेल्थ ऑफिसर, पंचायती राज सोशल वेलफेयर ऑफिसर और सीईओ शामिल होंगे। योजना को जिला स्तर पर लागू करने की योजना डिस्टिक स्टीयरिंग कमिटी बनाएगी।
ब्लॉक/क्लस्टर लेवल मिशन:-
योजना को ब्लॉक लेवल पर भी लागू किया जाएगा। इस योजना का मार्गदर्शन और समर्थन ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर और ब्लॉक रिसोर्स पर्सन करेंगे। इसके अलावा, ब्लॉक ऑफिसर इस योजना की सफलता की निगरानी करेंगे।
स्कूल मैनेजमेंट कमिटी एंड कम्युनिटी पार्टिसिपेशन:-
स्कूल मैनेजमेंट कमेटी और समाज का सहयोग निपूर्ण योजना को लागू करने के लिए प्रशासनिक संचालन का अंतिम स्तर है। यह योजना स्कूलों और समाजों में जागरूकता फैलाकर लागू की जाएगी। जिससे बच्चों के अभिभावक, शिक्षक और स्कूल का पूरा प्रशासन इस योजना को सफलतापूर्वक लागू कर सके।
योजना के हितधारक
- राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश
- नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग
- सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन
- केंद्रीय विद्यालय संगठन
- स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग
- डिस्ट्रिक्ट इंस्टिट्यूट ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग
- डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर एवं ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर
- ब्लॉक रिसोर्स सेंटर तथा क्लस्टर रिसोर्स सेंटर
- हेड टीचर
- Non-government ऑर्गेनाइजेशन
- सिविल सोसायटी ऑर्गेनाइजेशंस
- स्कूल मैनेजमेंट कमिटी
- वॉलिंटियर
- कम्युनिटी एवं पेरेंट्स
- प्राइवेट स्कूल
SCERTs तथा DIETs के माध्यम शैक्षणिक सहायता
SCERT को FLN मिशन में शिक्षक ट्रेनिंग मॉड्यूल बनाना होगा। उसके अतिरिक्त, सभी शिक्षक प्रशिक्षण मॉड्यूल स्थानीय भाषा में उपलब्ध होंगे। कक्षा 1 से 5 वी के लिए अतिरिक्त शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी, जो बच्चों को खुश करेंगे और मनोरंजन करेंगे। दूसरी बात, प्रत्येक DIET एक एकेडमिक संसाधन पूल बनाएगा| इस पूल में विश्वविद्यालयों के शिक्षा विभाग के शिक्षक, जिला शिक्षा योजनाकार और शिक्षक शामिल होंगे। शैक्षणिक सहायता के लिए इस योजना में कई अन्य उपाय शामिल होंगे।
दीक्षा डिजिटल सामग्री
निपुण भारत योजना के तहत दीक्षा पोर्टल भी शुरू हुआ है। दीक्षा पोर्टल ई कॉन्टेंट प्रदान करेगा। जो स्थानीय भाषा में किया जाएगा। यह ई कॉन्टेंट दोनों शिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध होगा। NCERT दीक्षा पोर्टल पर उपलब्ध सामग्री बनाएगा। दीक्षा प्लेटफार्म भी शिक्षकों के लिए कई प्रशिक्षण संस्थाधन प्रदान करेगा। प्रशिक्षण मॉड्यूल, पाठ्य सामग्री, वीडियो, शिक्षक पुस्तिका आदि दीक्षा प्लेटफार्म को ऐप से संचालित भी किया जा सकता है। दीक्षा एप जल्द ही शिक्षा विभाग द्वारा गूगल प्ले स्टोर और एप्पल एप स्टोर पर जारी किया जाएगा।
दीक्षा प्लेटफार्म का उपयोग
- प्रशिक्षण के उद्देश्य को परिभाषित करना
- उपलब्ध कांटेक्ट का लाभ उठाना
- टीचर्स की ऑनबोर्डिंग
- राज्य सहायता टीमों को प्रशिक्षण प्रदान करना
- संचार एवं आउटरीच
साक्षरता के लिए डिजिटल सामग्री
- टाइप करने के साथ पढ़ना
- व्याकरण प्रश्न बैंक के माध्यम से
- कंप्रीहेंशन पढ़ने से
- बाल साहित्य की उपलब्धता
माता पिता एवं सामुदायिक जुड़ाव
NIPUN Bharat को सफलतापूर्वक लागू करने में माता-पिता और पूरे समुदाय का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होगा। बच्चे लगभग 80% वक्त घर पर रहते हैं। ऐसे में बच्चों का ज्ञान घर में स्कूल से अधिक विकसित होता है। स्कूलों का प्रयास होगा कि माता-पिता को अपने बच्चों की पढ़ाई से जोड़ा जाए। इसके लिए विभिन्न उपाय किए जाएंगे। जैसे स्कूल में माता-पिता को बुलाना, माता-पिता को ईमेल, व्हाट्सएप और अन्य माध्यमों से जोड़ना, बच्चों को होम असाइनमेंट देना जिससे माता-पिता को नियमित रूप से जानकारी मिलती रहेगी कि उनके बच्चे क्या पढ़ रहे हैं और कैसे पढ़ रहे हैं, आदि।
परिवार एवं समुदाय को जोड़ने के विभिन्न तरीके
- विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का संचालन
- पेरेंट्स टीचर मीटिंग
- नियमित गतिविधियां भी समुदाय में की जा सके
- पेरेंटिंग पर कार्यशाला की व्यवस्था
- स्कूल की गतिविधियों तथा बच्चे की प्रगति के बारे में माता-पिता को लगातार जानकारी भेजना।
- असाइनमेंट्स देना
- माता-पिता को ईमेल व्हाट्सएप आदि के माध्यम से बच्चों की प्रगति के बारे में जानकारी प्रदान करना
अनुसंधान, मूल्यांकन एवं दस्तावेजीकरण की आवश्यकता
अनुसंधान, मूल्यांकन और दस्तावेजीकरण योजना को लागू करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। अनुसंधान से पता चलता है कि शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए क्या करना चाहिए। योजना को लागू करने के लिए किए गए प्रयासों की सफलता को मूल्यांकन बताता है, और सभी प्रमाण दस्तावेजीकरण से सुरक्षित रखते हैं। NIPUN Bharat में अनुसंधान, मूल्यांकन और दस्तावेजी करण शामिल हैं। राष्ट्रीय, राज्य, जिला, ब्लाक एवं स्कूली स्तर पर अनुसंधान एवं मूल्यांकन किया जा सकता है, जिसके लिए विभिन्न प्रकार की तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है, जैसे एक्टिव रिसर्च, प्रोसेस इवेल्यूएशन और इंपैक्ट इवेल्यूएशन।
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