Char Dham Yatra 2023: चार धाम यात्रा, बद्रीनाथ-केदारनाथ Yatra New Registration

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Char Dham Yatra  2023 :- उत्तराखंड चार धाम यात्रा 2023 की शुरुआत हो चुकी है। शिव के 12 ज्योर्तिलिंग में से एक भगवान केदारनाथ धाम के कपाट 25 अप्रैल 2023 को सुबह 6:25 की अमृत बेला पर खुलने वाले है। भगवान बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तिथि भी 27 अप्रैल 2023 है। चार धामों में प्रमुख गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया के दिन 3 मई को देशभर के श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। गंगोत्री-यमुनोत्री से लाये गए जल के बिना भगवान केदारनाथ व बद्रीनाथ की पूजा अधूरी मानी जाती है। गंगोत्री-यमुनोत्री से लाये गए जल से ही भगवान केदारनाथ भगवान बद्रीनाथ का जलाभिषेक किया जाता है।

देश व विदेशों से श्रद्धालु Uttarakhand Char dham Yatra Registration पर जाते है। उत्तराखंड सरकार द्वारा चार धाम यात्रा के लिए पंजीकरण को अब अनिवार्य कर दिया गया है। अब श्रद्धालु को बिना चार धाम यात्रा पंजीकरण के यात्रा में कठिनायों का सामना करना पड़ सकता है। अगर आप भी चार धाम यात्रा पर जाने का प्लान कर रहे है, तो आपको भी अपना और अपने परिवार का चार धाम यात्रा पंजीकरण करना होगा। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको Uttarakhand Chardham Yatra Registration के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे है। Uttarakhand Chardham Yatra Registration से सम्बंधित सभी प्रकार की जानकारी के लिए हमारे साथ अंत तक जुड़े रहे है।

Chardham Yatra Registration
Char Dham Yatra Registration
आर्टिकल  चार धाम यात्रा
विभाग चार धाम यात्रा प्रबंधन बोर्ड
राज्य उत्तराखंड
लाभार्थी चार धाम यात्रा श्रद्धालु
आधिकारिक वेबसाइट Click Here

Yamunotri Dham Yatra

यमुनोत्री धाम चार धाम यात्रा उत्तराखंड (गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ) का पहला पड़ाव है। सबसे प्राचीन और श्रद्धेय हिंदू तीर्थ चार धाम उत्तराखंड में स्थित है। इस यात्रा का पहला और सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव यमुनोत्री मंदिर है, जो एक छोटे से पहाड़ी गांव में है। जहां हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यमनोत्री मंदिर आकर्षण का मुख्य केंद्र है।

यह मंदिर मां यमुना को समर्पित है। यमुनोत्री धाम उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित चार धाम तीर्थ यात्रा का प्रारंभिक बिंदु है। यहां से यात्रा गंगोत्री और अंत में केदारनाथ और बद्रीनाथ की ओर बढ़ती है। यमुना नदी के स्रोत के पास एक संकरी खाई में स्थित, यमुनोत्री मंदिर गंगा के बाद दूसरी सबसे पवित्र नदी को समर्पित है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यमुना नदी में डुबकी लगाने से अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है। जानकी चट्टी से मंदिर तक पहुँचने के लिए यात्री या तो पैदल चलते हैं या पालकी या टट्टू की सवारी का उपयोग करते हैं। यमुनोत्री धाम (समुद्र तल से लगभग 3,233 मीटर ऊपर) की इस यात्रा में लगभग 3 किमी की खड़ी चढ़ाई के साथ लगभग 3 घंटे लगते हैं।

यमुनोत्री मंदिर देवी यमुना को समर्पित है, जिन्हें भगवान सूर्य (सूर्य) की बेटी और यम (मृत्यु के देवता) की बहन कहा जाता है। मंदिर के अंदर पॉलिश काले आबनूस में देवी यमुना की एक जटिल नक्काशीदार मूर्ति है। बहती यमुना नदी के किनारे बैठे, चमकीले पीले और सिंदूरी रंग का मंदिर दूर से दिखाई देता है, नाटकीय रूप से एक खड़ी पहाड़ी चेहरे के सामने स्थित है।

मंदिर के किनारे दो प्राकृतिक गर्म झरने, सूर्य कुंड और गौरी कुंड हैं। भक्त दिव्य प्रसाद के रूप में झरनों में चावल और सब्जियां डुबोते हैं। भक्त दिव्य शिला, सूर्य कुंड के पास एक लाल भूरे रंग की चट्टान पर भी प्रार्थना करते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1839 ईस्वी में हुआ था और 19वीं शताब्दी में इसका पुनर्निर्माण किया गया था।

Gangotri Dham Yatra

गंगोत्री धाम हिंदुओं के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। उत्तराखंड में चार पवित्र स्थानों (चार-धाम) में से दूसरा गंगोत्री धाम मां गंगा को समर्पित है। गंगोत्री एक छोटा सा शहर है जिसके केंद्र में देवी गंगा का मंदिर है। गंगोत्री बुलंद गढ़वाल हिमालय की चोटियों, ग्लेशियरों और घने जंगलों के बीच स्थित है, और भारत में सबसे ऊंचे (3,145 मीटर (11204.07 फीट) तीर्थस्थलों में से एक है।

हिंदू शास्त्रों में उल्लिखित सभी नदियों में गंगा को सबसे पवित्र माना जाता है। गंगोत्री धाम में ही मां गंगा का स्वर्ग से धरती पर अवतरण हुआ था। इसलिए इस स्थान का नाम गंगोत्री पड़ा। यह वह स्थान है जहां से भगवान शिव ने अपने बालों से शक्तिशाली गंगा को पृथ्वी पर छोड़ा था। गंगा नदी का वास्तविक उद्गम गंगोत्री से 19 किमी दूर गौमुख हिमनद है। जहां तक आप ट्रेकिंग कर रोमांचकारी यात्रा पूरी कर सकते हैं। अपने उद्गम से गंगा को भागीरथी के नाम से जाना जाता है। अलकनंदा नदी देवप्रयाग में भागीरथी से मिलती है। जहां से इसे गंगा के नाम से जाना जाने लगा।

गंगोत्री का इतिहास
कहा जाता है कि गंगा, एक सुंदर जीवंत युवती, भगवान ब्रह्मा के कमंडलु (जलपात्र) से पैदा हुई हैं। इस विशेष जन्म के दो संस्करण हैं। एक में कहा गया है कि वामन के रूप में अपने पुनर्जन्म में राक्षस बाली से ब्रह्मांड को छुड़ाने के बाद, ब्रह्मा ने भगवान विष्णु के पैर धोए और इस पानी को अपने कमंडलु में एकत्र किया।

एक अन्य किंवदंती यह है कि गंगा मानव रूप में पृथ्वी पर आई और महाभारत के पांडवों के पूर्वज राजा शांतनु से विवाह किया, जिसके सात बच्चे थे, जिनमें से सभी को उसके द्वारा एक अस्पष्ट तरीके से वापस नदी में फेंक दिया गया था। आठवां – भीष्म – राजा शांतनु के हस्तक्षेप के कारण बच गया। हालाँकि, गंगा फिर उसे छोड़ देती है। भीष्म महाभारत के भव्य महाकाव्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

Kedarnath Dham Yatra

केदारनाथ मंदिर का इतिहास – केदारनाथ मंदिर भारत के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है। केदारनाथ धाम हिमालय गढ़वाल में स्थित है। केदारनाथ मंदिर चार धामों में चौथा पूजनीय मंदिर है। यह शहर मंदाकिनी नदी के स्रोत चोराबारी ग्लेशियर के पास 3,580 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। भगवान शिव को समर्पित, केदारनाथ मंदिर एक प्राचीन मंदिर है और उत्तम वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है। यह भव्य मंदिर समान आकार के स्लेटी पत्थर के शिलाखंडों से बना है। केदार मंदिर के गर्भगृह में शंक्वाकार चट्टान को भगवान शिव के “सदाशिव” के रूप में पूजा जाता है।

केदारनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। वह क्षेत्र जहां भगवान केदार का पौराणिक मंदिर स्थित है। पौराणिक शास्त्रों में इस क्षेत्र का उल्लेख “केदारखण्ड” के नाम से मिलता है। हिंदू महाकाव्य महाभारत के अनुसार, इस स्थान पर, कौरवों को हराने के बाद, पांडवों ने स्वर्गारोहण के समय भगवान शिव को देखा और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। भगवान शिव बैल के रूप में पांडवों के सामने प्रकट हुए।

किंवदंती है कि जब भगवान शिव एक बैल के रूप में पांडवों के सामने प्रकट हुए। लेकिन पांडव उन्हें पहचान नहीं पाए। कहा जाता है कि महाभारत युद्ध में हुए संहार के कारण भगवान शिव उनसे नाराज थे और उन्हें देखना नहीं चाहते थे। लेकिन पांडवों की भक्ति और भीम द्वारा उनके शरीर पर कब्जा करने के कारण, भगवान शिव को केदार के रूप में उनके सामने प्रकट होना पड़ा। उसकी दया याचना से प्रसन्न होकर उसे आशीर्वाद दिया और स्वर्ग का मार्ग दिखाया।

पृथ्वी पर प्रकट होने के बाद भगवान शिव का शरीर चार अन्य स्थानों पर भी प्रकट हुआ। जहां उन्हें अलग-अलग रूपों में पूजा जाता है। भगवान की भुजाएं तुंगनाथ में, चेहरा रुद्रनाथ में, पेट मद्महेश्वर में और उनके केश कल्पेश्वर में प्रकट हुए। और भगवान शिव का सिर नेपाल के पशुपतिनाथ में प्रकट हुआ।

Badrinath Dham Yatra

बद्रीनाथ मंदिर, जिसे बद्रीनारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, भारत के उत्तराखंड के चमोली जिले के बद्रीनाथ शहर में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। बद्रीनाथ मंदिर राज्य का अंतिम और चार धाम का चौथा सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ है। यह आठवीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार महत्वपूर्ण मठों में से एक है। यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ नाम के चार तीर्थ स्थल हैं जिन्हें सामूहिक रूप से चार धाम के रूप में जाना जाता है।

बद्रीनाथ अलकनंदा नदी के तट पर गढ़वाल हिमालय में लगभग 3,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, यह पवित्र शहर नर और नारायण पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित है। हर साल लाखों तीर्थयात्री श्री बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर जाते हैं। यात्रा और श्री केदारनाथ मंदिर के लिए पूर्व पंजीकरण अनिवार्य है। बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर जाने के इच्छुक तीर्थयात्री यात्रा शुरू करने से पहले ऑनलाइन पंजीकरण करा सकते हैं।

Badrinath - Where divinity resides | Badrinath Darshan  |  Uttarakhand Tourism

Char Dham Yatra Uttarakhand Registration

उत्तराखंड चार धाम यात्रा का हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान है। प्रत्येक हिन्दू इन धामों की यात्रा पर जीवन में एक बार जरूर जातें है। चार-धाम यात्रा में गंगोत्री-यमुनोत्री व केदारनाथ – बद्रीनाथ की यात्रा की जाती है। प्रत्येक वर्ष चार-धाम यात्रा 6 माह संचालित होती है। मई महीने में चार-धाम यात्रा की शुरुआत होती है, जो अक्टूबर- नवंबर माह तक चलती है।

प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु चार धाम की यात्रा पर आते है। इसलिए सरकार द्वारा चार धाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों के लिए पंजीकरण को अनिवार्य किया गया है। चार धाम यात्रा पंजीकरण का उद्देश्य सरकार द्वारा यात्रियों का डाटा एकत्र करना है। ताकि सरकार यात्रा का संचालन सुचारु रूप से कर सकें। यात्रा के समय श्रद्धालु को होने वाली दिक्कतों को कम किया जा सकें।

देश व विदेश से जो भी श्रद्धालु इस वर्ष चार धाम यात्रा पर आना चाहता है। वे अपना पंजीकरण Uttarakhand Chardham Yatra Registration की आधिकारिक वेबसाइट पर जा कर आसानी से कर सकतें है।  उत्तराखंड घूमने आये पर्यटक भी उत्तराखंड पर्यटन वेबसाइट पर ऑनलाइन जाकर कई सुविधाओं का लाभ उठा सकतें है।

चार धाम यात्रा पंजीकरण के पश्चात ही श्रद्धालुओं को उत्तराखंड सरकार द्वारा चार धाम यात्रा की अनुमति प्राप्त होंगी। अन्यथा आपको यात्रा के दौरान परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा चार धाम यात्रा के लिए पंजीकरण हेतु प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। आप भी अपना Uttarakhand Chardham Yatra Registration अवश्य करें।

Chardham Yatra New Update

उत्तराखंड सरकार द्वारा वर्ष 2023 में चारधाम यात्रा हेतु पंजीकरण स्लॉट 20 फरवरी से शुरू हो गए है। गढ़वाल आयुक्त द्वारा इस वर्ष यात्रा की तैयारियों के उपलक्ष में बैठक के दौरान यह फैसला लिया गया। चारधाम यात्रा हेतु पंजीकरण ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों तरीकों से किये जायँगे। इस वर्ष सरकार द्वारा केदारनाथ व बद्रीनाथ में दर्शन हेतु मानक संचालन प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

महत्वपूर्ण जानकारी-: उत्तराखंड राज्य के स्थाई नागरिकों के लिए चारधाम यात्रा पंजीकरण आवश्यक नहीं है

चार धाम यात्रा पंजीकरण के लिए उत्तराखंड राज्य सरकार तथा चार धाम यात्रा प्रबंधन बोर्ड द्वारा भगवान बद्रीनाथ, केदारनाथ व गंगोत्री- यमुनोत्री की यात्रा के लिए सभी श्रद्धालुओं को ऑनलाइन पंजीकरण बुक करने की सुविधा प्रदान की गयी है। अब आप आसानी से UCCDMB-UTTARAKHAND CHAR DHAM DEVASHTANAM प्रबंधन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट से चार धाम यात्रा पंजीकरण कर सकतें है। यहाँ चार धाम यात्रा से सम्बंधित सभी प्रकार की जानकरी उपलब्ध है।

Char Dham Yatra Book Your Biometric Registration Online

चार धाम यात्रा के लिए ऑनलाइन बायोमेट्रिक पंजीकरण प्रक्रिया निम्नलिखित है।

  1. सबसे पहले आपको चार धाम यात्रा से सम्बंधित UCCDMB की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा।
  2. होम पेज खुलने आपको लॉग इन करने के लिए पंजीकृत ईमेल आईडी का प्रयोग करना होगा। इसलिए पहले आपको अपनी ईमेल आईडी को पंजीकृत करना होगा।
  3. आप बिना पंजीकृत ईमेल आईडी के साइन-अप के विकल्प पर क्लिक कर स्वयं को पंजीकृत कर सकतें है। अब आपको अपना मोबाइल नंबर व अन्य प्रकार की सभी जानकारी भरनी होंगी।
  4. अब आपको अपनी ईमेल आईडी के माध्यम से लॉग इन कर OTP और कैप्चा भरकर Enterके ऑप्शन पर क्लिक करना होगा। OTP आपको पंजीकृत मोबाइल नंबर पर ही प्राप्त होगा।
  5. नया पेज खुलने पर आपको रजिस्टर के ऑप्शन पर क्लिक करना होगा। अब आपको बायोमेट्रिक पंजीकरण के लिए अपने आधार कार्ड नंबर के साथ पूरी जानकारी दर्ज करनी होगीं। अब आप आसानी से एक पंजीकरण संख्या के माध्यम से एक साथ कई श्रद्धालुओं का पंजीकरण एक साथ कर सकतें है।
  6. सभी प्रकार की सही जानकारी भरकर आपको रजिस्टर के विकल्प पर क्लिक करना होगा।
  7. अब नए पेज पर आपको पंजीकरण शुल्क का भुगतान का ऑप्शन प्राप्त होगा। पंजीकरण शुल्क का भुगतान करने के पश्चात आपको ईमेल के माध्यम से आपका पंजीकरण प्राप्त हो जायेगा। यह पंजीकरण पेपर चार धाम यात्रा पर साथ में अवश्य लेकर जाएँ।

Char Dham Yatra 2023 E-pass online Download @registrationandtouristcare.uk.gov.in

चार धाम यात्रा ई-पास के लिए उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड तथा उत्तराखंड की सरकार ऑनलाइन सुविधा प्रदान करती है। आप आसानी से UCDDMB की आधिकारिक वेबसाइट से चार धाम यात्रा के ई-पास को डाउनलोड कर सकते हैं। Char dham yatra 2023 ई-पास ऑनलाइन डाउनलोड करने के लिए आपको निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन करना होगा।

  1. सबसे पहले आपको उत्तराखंड चार धाम देवस्थम प्रबंधन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा।
  2. होम पेज खुलने पर आपको पंजीकृत मेल आईडी से लॉगिन करना होगा।
  3. अब आपको पंजीकृत मोबाईल नंबर पर एक OTP प्राप्त होगा। उसके बाद आपको
    OTP तथा कैप्चा दर्ज करना होगा।
  4. सभी प्रकार की जनकरी भरकर आप आसानी से पंजीकरण पेज पर पहुंच जायेंगे। अब आपको ई-पास विकल्प पर क्लिक करना होगा।
  5. अब आपको चार धाम यात्रा ई-पास डाउनलोड के विकप पर क्लिक करना होगा। आपका ई-पास डाउनलोड हो जायेगा।

The procedure of Offline Biometric Registration of Char Dham Yatra 2023

उत्तरखंड सरकार तथा चारधाम प्रबंधन बोर्ड Uttarakhand Chardham Yatra Registration के लिए ऑफ़लाइन कार्यालयों के माध्यम पंजीकरण की सुविधा प्रदान करती है। चार धाम यात्रा उत्तराखंड हरिद्वार से शुरू होती है। उत्तराखंड सरकार द्वारा चार धाम यात्रा के लिए ऑफ़लाइन पंजीकरण हेतु विभिन्न कार्यालय खोले गए हैं।Uttarakhand Chardham Yatra Registration हेतु आपके पास वैध दस्तावेज जैसे – आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड आदि होने अनिवार्य है। निचे दिए गए कार्यालयों में जाकर आप आसानी से चार धाम यात्रा पंजीकरण कर सकतें है।

Ofice City District
Railway Station Haridwar Haridwar Haridwar
Pandit Deen Dayal Upadhyay Parking Haridwar Haridwar
Roadways Bus Stand Rishikesh Dehradun
Hemkund Gurudwara Rishikesh Dehradun
Janki Chatti Yamunotri Uttarkashi
Gangotri Gangotri Uttarkashi
Guptkashi Guptkashi Rudraprayag
Sonprayag Sonprayag Rudraprayag
Kedarnath Kedarnath Rudraprayag
Hina Uttarkashi Uttarkashi
Dobata Uttarkashi Uttarkashi

Required Document for Char Dham Yatra Registration

चार धाम यात्रा पंजीकरण के लिए निम्नलिखित आवश्यक दस्तावेज जरुरी है।

  • आधार कार्ड
  • वोटर आई कार्ड
  • ड्राइविंग लाइसेंस
  • राशन कार्ड
  • अन्य देशों के नागरिकों के लिए वैध वीजा की आवश्यकता होती है।
  • ईमेल आईडी
  • मोबाइल नंबर

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