नमामि गंगे योजना क्या है? | Namami Gange Pariyojana 2023: योजना प्रोजेक्ट

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सरकार ने गंगा नदी के प्रदूषण को समाप्त करने और नदी को पुनर्जीवित करने के लिए ‘नमामि गंगे’ नामक एक गंगा संरक्षण मिशन को शुरू किया है। गोमुख से लेकर हरिद्वार के सफर के दौरान गंगा 405 किलोमीटर का सफर तय करती है। अपने किनारे बसे 15 शहरों और 132 गांवों के कारण इनसे निकलने वाले कूड़ा-करकट से लेकर करोड़ों लीटर सीवरेज ने गंगा को मैला कर दिया है। इसके तहत 2017 से उत्तराखंड में गंगा की निर्मलता के लिए कोशिशें शुरू हुई और वर्तमान में 65 प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं।

Namami Gange Yojana

Namami Gange Yojana 2023

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गंगा नदी की सफाई के लिए बजट को चार गुना करते हुए पर 2019-2020 तक नदी की सफाई पर 20,000 करोड़ रुपए खर्च करने की केंद्र की प्रस्तावित कार्य योजना को मंजूरी दे दी और इसे 100% केंद्रीय हिस्सेदारी के साथ एक केंद्रीय योजना का रूप दिया।यह जानते हुए कि गंगा संरक्षण और गंगा को साफ़ करना १ बहुत बड़ी चुनौती है, इसलिए विभिन्न मंत्रालयों के बीच एवं केंद्र-राज्य के बीच बेहतर रिश्ते एवं कार्य योजना की तैयारी में सभी की भागीदारी बढ़ाने के साथ केंद्र एवं राज्य स्तर पर निगरानी तंत्र को बेहतर करने के प्रयास किये गए हैं।

भारत में गंगा नदी का न सिर्फ़ सांस्कृतिक और आध्यात्मिक के साथ -साथ देश की 40% आबादी भी गंगा नदी के जल पर निर्भर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2014 में न्यूयॉर्क में मैडिसन स्क्वायर गार्डन में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा था, “अगर हम इसे साफ करने में सक्षम हो गए तो यह देश की 40 फीसदी आबादी के लिए एक बड़ी मदद साबित होगी। अतः गंगा की सफाई एक आर्थिक एजेंडा भी है”।

इस सोच के तहत सरकार द्वारा ने गंगा नदी के प्रदूषण को समाप्त करने और नदी को पुनर्जीवित करने के लिए ‘नमामि गंगे’ नामक एक एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन की शुरुआत की है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नदी की सफाई के लिए बजट को चार गुना करते हुए पर 2019-2020 तक नदी की सफाई पर 20,000 करोड़ रुपए खर्च करने की केंद्र की प्रस्तावित कार्य योजना को मंजूरी दे दी और इसे 100% केंद्रीय हिस्सेदारी के साथ एक केंद्रीय योजना का रूप दिया।

Namami Gange - Ganga Rejuvenation Project

यह समझते हुए कि गंगा संरक्षण की चुनौती बहु-क्षेत्रीय और बहु-आयामी है और इसमंं कई हितधारकों की भी भूमिका है, विभिन्न मंत्रालयों के बीच एवं केंद्र-राज्य के बीच समन्वय को बेहतर करने एवं कार्य योजना की तैयारी में सभी की भागीदारी बढ़ाने के साथ केंद्र एवं राज्य स्तर पर निगरानी तंत्र को बेहतर करने के प्रयास किये गए हैं।

कार्यक्रम के कार्यान्वयन को शुरूआती स्तर की गतिविधियों (तत्काल प्रभाव दिखने के लिए), मध्यम अवधि की गतिविधियों (समय सीमा के 5 साल के भीतर लागू किया जाना है), और लंबी अवधि की गतिविधियों (10 साल के भीतर लागू किया जाना है) में बांटा गया है।

धनराशि का योगदान: विशाल जनसंख्या और इतनी बड़ी एवं लंबी नदी गंगा की गुणवत्ता को बहाल करने के लिए भारी निवेश की आवश्यकता है। सरकार ने पहले ही बजट को चार गुना कर दिया है लेकिन अभी भी आवश्यकताओं के हिसाब से यह पर्याप्त नहीं होगा। स्वच्छ गंगा निधि बनाई गई है जिसमें आप सभी गंगा नदी को साफ़ करने के लिए धनराशि का योगदान कर सकते हैं।

इस कार्यक्रम के तहत इन गतिविधियों के अलावा जैव विविधता संरक्षण, वनीकरण (वन लगाना), और पानी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं। महत्वपूर्ण प्रतिष्ठित प्रजातियों, जैसे – गोल्डन महासीर, डॉल्फिन, घड़ियाल, कछुए, ऊदबिलाव आदि के संरक्षण के लिए कार्यक्रम पहले से ही शुरू किये जा चुके हैं। इसी तरह ‘नमामि गंगे’ के तहत जलवाही स्तर की वृद्धि, कटाव कम करने और नदी के पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिति में सुधार करने के लिए 30,000 हेक्टेयर भूमि पर वन लगाये जाएंगे। वनीकरण कार्यक्रम 2016 में शुरू किया जाएगा। व्यापक स्तर पर पानी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए 113 रियल टाइम जल गुणवत्ता निगरानी केंद्र स्थापित किये जाएंगे।

औद्योगिक प्रदूषण की समस्या के समाधान

औद्योगिक प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए बेहतर प्रवर्तन के माध्यम से अनुपालन को बेहतर बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। गंगा के किनारे स्थित ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को गंदे पानी की मात्रा कम करने या इसे पूर्ण तरीके से समाप्त करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इन निर्देशों के कार्यान्वयन के लिए कार्य योजना पहले से ही तैयार कर चुका है और सभी श्रेणी के उद्योगों को विस्तृत विचार-विमर्श के साथ समय-सीमा दे दी गई है। सभी उद्योगों को गंदे पानी के बहाव के लिए रियल टाइम ऑनलाइन निगरानी केंद्र स्थापित करना होगा।

जल का पुनः उपयोग व रिकवरी

हममें से अधिकांश को यह पता नहीं है कि हमारे द्वारा इस्तेमाल किया गया पानी और हमारे घरों की गंदगी अंततः नदियों में ही जाती है अगर उसका सही से निपटान न किया गया हो। सरकार पहले से ही नालियों से संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रही है लेकिन नागरिक कचरे और पानी के उपयोग को कम कर सकते हैं। उपयोग किए गए पानी, जैविक कचरे एवं प्लास्टिक की रिकवरी और इसके पुनः उपयोग से इस कार्यक्रम को काफ़ी लाभ मिल सकता है।

Namami Gange Yojana ,गंगा संरक्षण अधिनियम 

अधिनियम 1860 के तहत राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर पांच स्तरीय संरचना की परिकल्पना की गई है, जो निम्नलिखित है-

  • माननीय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय गंगा परिषद का निर्माण।
  • जल शक्ति के माननीय केंद्रीय मंत्री (जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प विभाग) की अध्यक्षता में गंगा नदी पर अधिकार प्राप्त टास्क फोर्स (ETF)।
  • स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन (NMCG)।
  • राज्य गंगा समितियाँ और
  • राज्यों में गंगा और उसकी सहायक नदियों को समाप्त करने वाले प्रत्येक निर्दिष्ट जिले में जिला गंगा समितियाँ।

नमामि गंगे

Namami gange yojana के कार्यक्रम

कार्यक्रम के कार्यान्वयन को निम्नलिखित स्तरों में बाँटा गया है –

  • शुरूआती स्तर की गतिविधियों में (तत्काल प्रभाव दिखने के लिए)
  • मध्यम अवधि की गतिविधियों में (समय सीमा के 5 साल के भीतर लागू किया जाएगा)
  • लंबी अवधि की गतिविधियों में (10 साल के भीतर लागू किया जाएगा)

Namami gange yojana में होने वाले कार्य 

नमामि गंगे प्रोजेक्ट की 231 योजनाओं में गंगोत्री से शुरू होकर उत्तरप्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड, बिहार और बंगाल में विभिन्न जगहों पर पानी के सवच्छ्ता का काम किया जाएगा। तालाबों का गंगा से जुड़ाव पर क्या असर होता है उसे भी देखा जाएगा। गंगा सफाई अभियान के लिए निम्नलिखित कार्य किये जाएंगे –

  • पुराने घाटों का जीर्णोद्धार।
  • नए घाट, चेंजिंग रूम, शौचालय, बैठने की जगह, , आक्सीडेशन प्लान्ट बायोरेमेडेशन प्रक्रिया से
  • सीवेज ट्रीटमेंट प्लान्ट का निर्माण।
  • गंगा से लगे शहरों में एसटीपी का निर्माण।
  • गंगा व उसकी सहायक नदियोें के किनारे पौधरोपण।
  • रिवर-फ्रंट डेवलपमेंट का निर्माण (आधुनिकीकरण और नवीनीकरण)।
  • गंगा के किनारे पेड़ लगाएं जाएंगे।
  • स्नान घाट व श्मशान घाटों का निर्माण।
  • विभिन्न संगठनों व संस्थाओं की मदद से जनजागरुकता की जाएगी।
  • गंगा में गिरने वाले गंदे नालों की टैपिंग।

Namami gange yojana के लाभ  

  • 32 परियोजनाओं में से 871.74 करोड़ रुपए की कुल लागत वाली 20 परियोजनाएँ सीवर की स्वच्छता तथा उत्तराखंड के विभिन्‍न भागों में सफाई के कार्यों के निर्माण से संबंधित हैं।
  • छह परियोजनाएँ हरिद्वार में लागू की जाएंगी। इसके अंतर्गत जगजीतपुर और सराय में दो एसटीपी का निर्माण किया जाएगा। हरिद्वार की परियोजनाओं की कुल लागत 414.20 करोड़ रुपए है।
  • सभी परियोजनाओं के पूरे होने के बाद हरिद्वार और ऋषिकेश समेत उत्तराखंड के सभी प्रमुख शहरों का पानी बिना स्वच्छ हुए गंगा में नहीं जाएगा।
  • इसके अतिरिक्‍त उत्तरकाशी, मुनि की रेती, कीर्ति नगर, श्रीनगर, रुद्र प्रयाग, बद्रीनाथ, जोशीमठ, चमोली, नंद प्रयाग और कर्ण प्रयाग में सीवेज स्वच्छता परियोजनाओं की आधारशिलाएँ रखी गईं।
  • टिहरी गढ़वाल, रुद्र प्रयाग और चमोली में घाट विकास कार्यों के लिये आधारशिलाएं रखी गईं।

Namami gange yojana (नमामि गंगे परियोजना) में कवर शहर

भारत के पांच राज्यों में नमामि गंगे प्रोजेक्ट शुरू किया गया है-

  • उत्तरप्रदेश
  • झारखंड
  • उत्तराखंड
  • पश्चिम बंगाल
  • बिहार

नमामि गंगे प्रोजेक्ट निम्नलिखित शहरों में शुरू हुआ है-

  • बद्रीनाथ
  • जोशीमठ
  • गोपेश्वर
  • नंदप्रयाग
  • गोचर
  • कीर्तिनगर
  • मुनि की रेती
  • टिहरी
  • देवप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • उत्तरकाशी
  • श्रीनगर
  • ऋषिकेश
  • हरिद्वार

इन शहरों में 132 एमएलडी क्षमता के एसटीपी, 59 नालों की टैपिंग, 70 से ज्यादा स्नान घाट, विभिन्न स्थानों पर श्मशान घाट, स्नान घाटों का सौंदर्यीकरण समेत कई कार्य होने हैं। इनमें से कुछ हो चुके हैं, जबकि कुछ प्रगति पर हैं।

गंगा सफाई का कितना काम हो गया है?

केंद्र सरकार ने कहा है कि 305 परियोजनाओं की अनुमानित लागत के लिए 28,613.75 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। जिसमें से 109 परियोजनाओं को पूरा कर लिया गया है, जबकि बाकी परियोजनाओं का किसी ना किसी स्तर पर काम जारी है

गंगा की सफाई को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दावा किया है कि 2020 तक गंगा की सफाई 70 से 80 फीसदी पूरी हो चुकी होगी। मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रस्तावित नए 151 घाटों के निर्माण में से महज 36 घाट ही अभी बनकर तैयार हुए है।

नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा योजना के अंतर्गत कुल 154 प्रोजेक्ट बनाए गए थे। इनमें से 2014-15 एवं 2016-17 के दौरान 71 योजनाओं को अनुमति प्रदान की गई। इनमें से 70 योजनाओं को अनुमति 26 दिन से लेकर 1,140 दिन की देरी के साथ मिली। शेष बची हुई 83 योजनाओं को आज भी अनुमति का इंतजार है।

क्या है नमामि गंगे योजना?

Namami gange karyakram ganga nadi se sambandhit hai. नमामि गंगे एक गंगा संरक्षण मिशन है जिसे सरकार ने गंगा नदी के प्रदूषण को समाप्त करने और नदी को पुनर्जीवित करने के लिए शुरू की है।

नमामि गंगे योजना के लाभ क्या है?

गंगा की स्वच्छता के साथ साथ विभिन्न जगहों पर पानी के सवच्छ्ता का काम होगा। गंगा से लगे शहरों में डेवलपमेंट होगी।

 

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